Wednesday, 6 February 2019

बस बातें!

बस बातें करनी हैं!
आप से, उन से
 सबसे!

जिन्हें कभी मिल नहीं सकते या जिनसे कभी वास्ता  भी न पड़ेगा,
बातें तो उनसे भी करनी हैं। और सिर्फ़ बोलना नहीं है मुझे। सुनना भी तो है। हरेक तो आपमें कहानी है। सब तो लेकर चलते हैं भाव और जो समझ जाता है भावों को कथा को उसी से तो हो जाता है प्रेम।
अब कथा को इसी हफ्ते पता चला की ये हफ्ता तो थोड़ा दूकानदारी वाला सा है। प्यार-मुहब्बत को थोड़ा अमीर बनाया जा रहा है। साज रहीं हैं हट्टियाँ सुर्ख़ रंगों से।
किसी का नीला जीवन लाल हो जाये तो भला मुझे क्या एतराज़। मगर अगर भाव नहीं तो स्याह ही होगा...

गुलाब नहीं खिलता खिजाओं में। बहारों में ही आती है हवा उल्फ़त की!

आइये अब बातें करने पर आते हैं, जिनकी जेब गरम और जबीं पर खुशनुमा लकीरें हैं, वो तो मना ही लेंगे इस हफ़्ते अपने मन को। ख़ुद का भी ख़्याल करना कहीं सितारों की टोह लेने के चक्कर में सूरज से भी जाओ। ध्यान रखना इश्क़ निकम्मा कर देता है भले-भलों को!
हम ये न कह पाएंगे कि गयी भेंस पानी में। अब जब तुम रोये नहीं - तो पानी कहाँ बेचारी भेंस के लिए!

मैंने क्यूँ कह दिया बेचारी उसे!?!
एक पशु को थोड़े पता है कि लेबल क्या होता है- प्राइस टैग क्या होता है। फिर उसका जीवन कैसा होता है, नीरस या सरस?
चलिये ये बात भी पता चल ही जाएगी जब हम मिलेंगे-बैठेंगे। अभी तो उनसे बात करने का मन है जिन्हें कभी मिल नहीं सकते  या जिनसे कभी वास्ता  भी न पड़ेगा,
बातें तो उनसे भी करनी हैं। और सिर्फ़ बोलना नहीं  मुझे। सुनना भी तो है।

अरे... आप तो मुस्कुरा रहें हैं.... कुछ बात कहिए हुज़ूर!

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